
PO, OFS और FPO तीनों ही वित्तीय बाजारों में कंपनियों द्वारा पूंजी जुटाने के प्रमुख तरीकों में से हैं।
IPO (Initial Public Offering)
परिभाषा: IPO वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से एक निजी कंपनी पहली बार सार्वजनिक हो जाती है और अपने शेयरों को आम जनता के लिए जारी करती है।
मुख्य उद्देश्य: IPO के माध्यम से कंपनी पूंजी जुटाने, अपने विस्तार की योजनाओं को लागू करने, ऋण चुकाने, और बाजार में अपनी उपस्थिति को बढ़ाने के उद्देश्य से धन जुटाती है।
प्रक्रिया:
- रेजिस्ट्रेशन: कंपनी सेबी (SEBI) के पास रजिस्टर करती है।
- प्रॉस्पेक्टस: कंपनी एक प्रॉस्पेक्टस जारी करती है जिसमें कंपनी के बारे में सभी जानकारी दी जाती है।
- प्राइसिंग: शेयरों का मूल्य निर्धारण किया जाता है, जिसे फिक्स्ड प्राइस या बुक बिल्डिंग प्रोसेस के माध्यम से किया जा सकता है।
- ऑलॉटमेंट: आवेदन प्राप्त होने के बाद, शेयरों का आवंटन किया जाता है।
- लिस्टिंग: शेयर स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट होते हैं और ट्रेडिंग शुरू होती है।
FPO (Follow-on Public Offering)
परिभाषा: FPO वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से पहले से ही सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध कंपनी अपने नए शेयरों को जारी करती है।
मुख्य उद्देश्य: कंपनी के पास पहले से सार्वजनिक होने के बाद भी पूंजी जुटाने का तरीका होता है। यह अक्सर विस्तार, ऋण चुकाने, या अन्य निवेश उद्देश्यों के लिए किया जाता है।
प्रक्रिया:
- अनाउंसमेंट: कंपनी FPO की घोषणा करती है।
- प्रॉस्पेक्टस: FPO के लिए एक नया प्रॉस्पेक्टस जारी किया जाता है।
- प्राइसिंग: नए शेयरों का मूल्य निर्धारण किया जाता है।
- ऑफर: शेयरों की पेशकश की जाती है और आवंटन प्रक्रिया पूरी होती है।
- लिस्टिंग: नए शेयर स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट होते हैं और ट्रेडिंग शुरू होती है।
OFS (Offer for Sale)
परिभाषा: OFS एक तंत्र है जिसके माध्यम से पहले से सूचीबद्ध कंपनी के प्रमोटर और बड़े शेयरधारक अपने शेयरों को बेचते हैं।
मुख्य उद्देश्य: OFS का उपयोग प्रमोटर्स और बड़े शेयरधारकों द्वारा अपने शेयरहोल्डिंग को कम करने के लिए किया जाता है, आमतौर पर कंपनी में अपनी हिस्सेदारी को कम करने, नकदी जुटाने, या नियामक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए।
प्रक्रिया:
- अनाउंसमेंट: कंपनी या प्रमोटर OFS की घोषणा करता है।
- बिडिंग: निवेशक शेयरों के लिए बोली लगाते हैं।
- अलॉटमेंट: बोली प्रक्रिया के बाद शेयरों का आवंटन किया जाता है।
- लिस्टिंग: शेयरों का सौदा स्टॉक एक्सचेंज पर होता है, क्योंकि ये पहले से सूचीबद्ध होते हैं।
मुख्य अंतर
- उद्देश्य:
- IPO: कंपनी पहली बार सार्वजनिक होती है और पूंजी जुटाती है।
- FPO: पहले से सार्वजनिक कंपनी अतिरिक्त पूंजी जुटाती है।
- OFS: प्रमोटर या बड़े शेयरधारक अपने शेयरों को बेचते हैं।
- प्रक्रिया:
- IPO: लंबी और जटिल प्रक्रिया, जिसमें कंपनी को पहली बार सार्वजनिक करने की जरूरत होती है।
- FPO: कंपनी पहले से ही सार्वजनिक है, इसलिए प्रक्रिया थोड़ी सरल होती है।
- OFS: सरल और तेजी से पूरी होने वाली प्रक्रिया।
- शेयर का प्रकार:
- IPO: नए शेयर जारी किए जाते हैं।
- FPO: नए शेयर जारी किए जा सकते हैं या मौजूदा शेयरधारकों के शेयर बेचे जा सकते हैं।
- OFS: प्रमोटर या बड़े शेयरधारक के मौजूदा शेयर बेचे जाते हैं।
- नियामक आवश्यकताएँ:
- IPO: बहुत कठोर नियामक आवश्यकताएँ होती हैं।
- FPO: नियामक आवश्यकताएँ IPO से थोड़ी कम होती हैं।
- OFS: सबसे कम नियामक आवश्यकताएँ होती हैं।
IPO, FPO और OFS कंपनियों द्वारा पूंजी जुटाने या अपने शेयरों को बेचने के तीन अलग-अलग तरीकों को प्रदर्शित करते हैं। IPO नई कंपनी को सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध होने में मदद करता है, FPO पहले से सूचीबद्ध कंपनी को अतिरिक्त पूंजी जुटाने में सहायक होता है, और OFS प्रमोटर्स और बड़े शेयरधारकों को अपने हिस्से को बेचने का एक त्वरित और सरल तरीका प्रदान करता है। तीनों की प्रक्रियाओं और उद्देश्यों में विभिन्न अंतर हैं, जो उन्हें विभिन्न परिस्थितियों में उपयोगी बनाते हैं।
